एक स्वप्न देखा था मैंने खुदीराम बोस नाम अमर करने का ! एक स्वप्न देखा था मैंने खुदीराम बोस नाम अमर करने का !
नोच लो जिस्म जिसका तुम चाहो बोल दो वक्त अब हमारा है छोड़ दो पाप पुण्य धर्म समाज कह दो आज़ादी तुमको... नोच लो जिस्म जिसका तुम चाहो बोल दो वक्त अब हमारा है छोड़ दो पाप पुण्य धर्म समा...
आज़ादी के इतने सालों बाद देश की हकीकत बयाँ करती एक कविता... आज़ादी के इतने सालों बाद देश की हकीकत बयाँ करती एक कविता...
और जीती हूँ जीवनभर शालीनता के पिंजरे में घुट-घुट कर | और जीती हूँ जीवनभर शालीनता के पिंजरे में घुट-घुट कर |
ये कविता सरहद पर बने एक कुँऐ के बारे में है जो दोनों तरफ के विवाद से परेशान है। ये कविता स्वतंत्रता ... ये कविता सरहद पर बने एक कुँऐ के बारे में है जो दोनों तरफ के विवाद से परेशान है। ...
सिर्फ दो दिन नहीं, पूरे साल ये जश्न चलता रहे दिन दूनी रात चौगुनी, तरक्की वतन करता रहे। सिर्फ दो दिन नहीं, पूरे साल ये जश्न चलता रहे दिन दूनी रात चौगुनी, तरक्की वतन कर...